Tuesday 21 January 2020

Life line of Mumbai and India ( Indian Railways ).


  " भारतीय रेल#INDIAN RAILWAY "

         भारतीय रेल भारत सरकार के रेल मंत्रालय के अधीन आती है रेल मंत्री इसके प्रमुख होते है। भारतीय रेल का
लोहा पूरी दुनिया मानती है। यह विश्व की सबसे बड़ी रेल सेवाओं में से एक है। रोजाना करीब २.6 करोडो लोग इससे सफर करते है। यह दुनिया की सबसे बड़ी रेल रुट सेवा है। यह लगभग115000 किमी का लम्बा रुट है। भारतीय रेल की शुरुआत 1853 में मुंबई से ठाणे के बीच हुई ,आज भारतीय रेल का जाल पुरे भारत के कोने कोने में फैला हुआ है।

भारतीय रेल लम्बी दुरी व् लोकल सेवा इस दो प्रकार से चलती है। भारतीय रेल की योजना सबसे पहले अंग्रेजो ने 1832 में बनाई , परन्तु दसको तक वह योजना ऐसे ही पड़ी रही ।

LOCOMOTIVE  ENGINE

अंत में 1853 में पहली बार तीन लोकोमोटिव इंजन की ट्रैन चली। इसमें साहिब , सिंध और सुल्तान इस नाम के तीन इंजन के डिब्बे थे, इस रेल ने मुंबई से ठाणे तक की 34km दुरी तय की। 1895 में भारत ने अपना रेल इंजिन बनाना सुरु किया। 1901 में रेलवे बोर्ड बनाया गया। परन्तु फैसला लेने का सारा हक़ लार्ड कर्ज़न के पास था। रेलवे बोर्ड में तीन लोग थे,१)चेयरमैन -गवर्नमेंट अफसर२) इंग्लैंड से एक रेल मैनेजर ३) एक रेल कंपनी का एजेंट।
रेल ट्रैक 
1907 में सरकार ने सारी रेल कंपनियों को अपने बस में कर लिया। विश्व युद्ध में भारतीय रेल अंग्रेजो के लिये बड़े काम की चीज साबित हुई। १९४७ में रेलवे का ज्यादातर हिस्सा पाकिस्तान के पास चला गया। कुल ४२ रेल लाइन के साथ भारतीय रेल की शुरुआत हुई। १९५२ में भारतीय रेल को ६ झोन में बाटा गया।१९८५ में लोकोमोटिव की जगह इलेक्ट्रिक और डीज़ल इंजिन ने ली। १९९५ में पुरे भारतीय रेल को Computerise किया गया। २१वी सताब्दी में भारतीय रेल दुनिया की सबसे बिजी व लम्बी रेल सेवावो में से एक है।
भारतीय रेल से हर साल करीबन ६ बिलियन लोग सफर करते है।115000 km लम्बा रेलवे ट्रैक है , जिसपर करीबन ७५०० स्टेशन है।भारतीय रेल दुनिया की २ नंबर की नौकरी देनेवाली सबसे बड़ी संस्था (employer ) की श्रेड़ी में आती है। भारतीय रेल के पास करीबन 240000 वैगन्स,60000 कोच ,9000 लोकोमोटिव है।



अब भारतीय रेल को 16 झोन में बाटा
गया है। जो इस प्रकार है -

1.राष्ट्रीय रेलवे एनआरएचआई
14 अप्रैल, 1952
   2. नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे एनईआर
गोरखपुर 1952
   3. नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवेएनएफआर
मालीगांव (गुवाहाटी) 1958
   4.एस्टर्न रेलवे कांकेटा
अप्रैल,1952
   5.साउथ ईस्टर्न रेलवेसेवर कोलकाता
1955,    6.साउथ सेंट्रल रेलवेसीआरसी
सिकंदराबाद 2 अक्टूबर, 1966
   7.सुरान रेलवे एसआरआर
चेन्नई14 अप्रैल, 1951
   8.सेंट्रल रेलवेसीआर
मुंबई 5 नवंबर, 1951
   9.वेस्टर्न रेलवे डब्ल्यूआर
मुंबई5 नवंबर,1951
   10.साउथ वेस्टर्न रेलवेएसडब्ल्यू
आर,हुबली1 अप्रैल2003
   11.नौर्थ पश्चिमी रेलवेएनडब्ल्यूआर
जयपुर १ अक्टूबर, 2002
   12.वेस्ट सेंट्रल रेलवे डब्ल्यूसीआर
जबलपुर1 अप्रैल 2003
  13.नार्थ सेंट्रल रेलवेएनआरसीए
इलाहाबाद1 अप्रैल, 2003
  14.साउथ पूर्व मध्य रेलवे एसईसीआर
बिलासपुर,सीजी 1 अप्रैल, 2003
  15.एस्ट कोस्ट रेलवेईसीओआर
भुवनेश्वर1 अप्रैल 2003
  16.इस्ट सेंट्रल रेलवेईसीआर
हाजीपुर1 अक्टूबर, 2002
  17. कोंकण रेलवे # केआर
नवी मुंबई 26 जनवरी,1998

      # कोकण रेलवे अलग से काम करती है। इसका हेडक्वाटर सी. बी.डी. बेलापुर (नवी मुंबई) में है

      पैसंजर ट्रैन में १८ कोच होते है , किसी-किसी में २४ कोच भी होते है।२००४ में ऑनलाइन टिकट की सुविधा की सुरुवात हुई। आजकल तो ज्यादातर काम ऑनलाइन ही होता है।रेलमंत्री रेल बजट पेश करते है, यह ज्यादातर फेब्रुवारी में आम बजट के पहले इसे पेश किया जाता था। परन्तु२१सप्टेम्बर 1916 को मोदी सरकार दोनों बजट को एक साथ संयुक्त कर दिया।

रेलवे  स्टेशन 


          मुंबई रेल / मुंबई लोकल  

इस सब में मुंबई रेल का एक अपना विशेष स्थान है। मुंबई रेल रुट करीबन 390 km में फैला है। इसमें करीबन 2342 ट्रेनें चलती है। यहाँ लगभग ७मिलियन लोग हर रोज सफर करते है। भारत की पहली रेल भी मुंबई से ठाणे के बीच 16 April 1853 में १५:३५ बजे रवाना हुई। तीन इंजन व १४ कोच की इस रेल ने 34km की दुरी1.25 Hrs में तय की। यह रेल केवल एक बार सायन स्टेशन पर इंजिन में पानी के लिए रुकी। दूसरी बड़ी रेल सेवा1867 में विरार व चर्चगेट के बीच सुरु की गयी।
मुंबई रेल का संचालन भारतीय रेल द्वारा होता है। ऐसे दो झोन में बाटा गया है,१ -सेंट्रल रेल २-वेस्टर्न रेल।वेस्टर्न लाइन द्वारा वेस्टर्न रुट का संचालन होता है,जब कि सेंट्रल लाइन द्वारा सेंट्रल लाइन हारबर लाइन ,ट्रांस हारबर लाइन व वसई -पनवेल वाया दिवा लाइन का भी संचालन होता है।

मुंबई रेल में अलग अलग वर्ग कीसेवा दी जाती है।1st वर्ग की तरह, द्वितीय श्रेणी (सामान्य वर्ग),कक्षा 1-महिला, कक्षा -2 महिला, दिव्यांगजन (हैंडी कैप), सेनियर सिटीजन और सामान श्रेणी।
मुंबई रेल के प्रत्येक कोच में लगभग ५००० लोग भरे होते है जबकि उसकी क्षमता केवल २००० की होती है। मुंबई रेल हमेशा अपने बहुत भीड़ -भाड़ के लिए मशहूर है। यहाँ रोज हादसे होते रहते है, इसलिए मुंबई को हादसों का शहर कहा जाता है। लोकल ट्रेन मुंबई में 4 AM से1 AM चलती है,कुछ ट्रेने 2:30 AM तक भी चलती है।

BOLLYWOOD में भारतीयरेल का योगदान
बॉम्बे शहर हादसों का शहर है। यहाँ रोज रोज हर मोड़ मोड़ पर होता है ,
कोई न कोई हादसा, हादसा ....(किसी फिल्म का गीत )

फिर भी मुंबई रेल मुंबई की लाइफ लाइन है।

       बॉलीवुड भी रेल्वे से अछूता नहीं है। बहुत सी फिल्मो में  रेल का इस्तेमाल किया गया है। कुछ तो फिल्मे पूरी की पूरी ट्रैन में ही शूट हुई है , (स्टूडियो ट्रेन में ) जैसे ... THE बर्निंग TRAIN 


फिल्म पोस्टर 
       
   चेनई एक्सप्रेस को हम कैसे भूल सकते है। बहुत से फाइटिंग दृश्य का फिल्मांकन भी ट्रेन कोचेस या यार्ड में किया जाता है। कभी-कभी दो लोगो के मिलने -बिछड़ने के दृश्य के लिए भी चलती ट्रैन का बखूबी इस्तेमाल किया जाता है। यह बात अलग है कभी- कभी वीएफएक्स और क्रोमा तकनीक का इस्तेमाल भी रुकी हुई ट्रेन के डब्बे को,जो की स्टूडियो में होता है,चलते हुआ दिखाने में किया जाता है। इसके बावजूद नाम तो भारतीय रेल का ही लिया जाता है। 
   निष्कर्ष -
     अतः  एक ही निष्कर्ष निकलता है कि -
      कुछ भी हो जाये परन्तु भारतीय रेल हमारे 
      जीवन शैली का एक हिस्सा है और रहेगी।  
         !!जय हिंद !!




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9 comments:

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