26 JANUARY 2022/ REPUBLIC DAY, INDIA
२६जनवरी २०२2/ प्रजासत्ताक दिन/ गणतंत्र दिवस
भारत, हिंदुस्तान, इंडिया या फिर आर्यवर्त देश एक पर नाम अनेक। यही खासियत है हमारे देश की , हमारे हिंदुस्तान की। यहाँ देश का ही नाम अलग -अलग नहीं, बल्कि लोग भी अलग अलग जात, धर्म और समुदाय के रहते है, अलग अलग बोली बोलते है, अलग अलग पोशाख पहने है, खान पान भी अलग है, परम्पराएँ भी अलग है। फिर भी सभी एक है , सभी हिंदुस्तानी है। सभी साथ मिल कर रहते है,साथ मिल कर त्यौहार मनाते है ,चाहे वह ईद हो या दिवाली, क्रिशमस हो या वैशाखी।सब साथ मिलकर मनाते हैं।
२६जनवरी २०२2/ प्रजासत्ताक दिन/ गणतंत्र दिवस
ईद मुबारक |
इन सब के बावजूद, हमारे देश का इतिहार बड़ा ही दर्दनाक रहा है। कई माताओं ने अपने लालों के बलिदान दिए, तब जाकर हमें आजादी मिली। हमें आज़ादी तो १५ अगस्त १९४७ को मिल गयी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आधी रात को तिरंगा फहराते हुए कहा भी कि "इस वक्त जब पूरा विश्व सो रहा है, तब भारत जाग रहा है।" परन्तु वह पूरी आज़ादी नहीं थी, वह आज़ादी नाम मात्र की थी। जिसमे हमें अपनी सरकार चुनने का कोई अधिकार नहीं था, और न ही कोई लोकतांत्रिक आज़ादी थी। अभी भी हम ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाये गए कानूनों का पालन कर रहे थे ,क्यों की उस समय तक हमारे पास अपना कोई संविधान नहीं था और हम स्वतंत्रता के बाद भी किंग जॉर्ज VI और अर्ल माऊंट बेटन के शासन के अधीन थे। उस समय भारत में अधिनियम १९३५ के तहत शासन चल रहा था, जिसके तहत भारत को पूर्ण राष्ट्र का दर्जा प्राप्त नहीं था क्यों कि उसके सभी राज्य अलग अलग थे। और भारत को पूर्ण राष्ट का दर्जा प्राप्त करने के लिए करीबन आधे से ज्यादा राज्यों का भारतवर्ष में शामिल होना जरुरी था।
डॉ. बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर |
इस प्रकार भारत के सभी नेताओ को अपने संविधान की आवश्यकता महसूस होने लगी। आख़िरकार २९ ऑगस्ट 1947 में डॉ. भीमराव आम्बेडकर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया, जिसको स्वतंत्र भारत के संविधान के गठन का बीड़ा सौपा गया। आख़िरकार इस समिति ने विभिन्न राष्ट्रों के संविधानो का अध्ययन कर और अपनी योग्यतानुसार भारत के संविधान का एक प्रथम प्रारूप नवंबर ४, 1947 को भारत की सविधान सभा के सामने प्रस्तुत किया। प्रस्तुत संविधान में जरुरी संशोधन कर उसे करीबन २ साल ११ महीने बाद २६ जनवरी १९५० को औपचारिक रूप से अपना लिया गया। और आज तक उसे ही भारत का सर्वोच्च कानून के रूप में माना जाता है। उसके बाद भारत एक लोकतंत्र के रूप में पुरे विश्व में एक अपना विभिन्न स्थान रखता है। आज हमारे लोकतंत्र की चर्चा पुरे विश्व में होती है। इस संविधान के तहत सारे सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों को उनकी संरचना , उनकी शक्तियों और कर्तव्यों की पूरी जानकारी दी गई। साथ ही भारत के हर नागरिक के मौलिक अधिकारों और
कर्तब्यों का पूरा विवरण पेश किया गया। आज उसी संविधान के तहत हमारी न्याय पालिका काम करती है।
कभी कभी हमारे मन में यह भी विचार आता है कि आखिर २६ जनवरी को ही भारतीय संविधान को क्यों पेश किया गया। उसके पीछे भी एक किस्सा है।१९३० के दौरान अंग्रेजो से भारत के पूर्ण स्वराज्य की मांग की गयी थी और २६जनवारी १९३० को "पूर्ण स्वराज्य दिवस "अर्थात " पूर्ण स्वतंत्रता दिवस " के रूप में घोषित किया गया। इस दिन को सम्मान देने हेतु आख़िरकार २६जनवरी १९५० को भारतीय संविधान की घोषणा की गयी , जिसे प्रजासत्ताक दिन के रूप में भी घोषित किया गया। इसे गणतंत्र दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
इस दिन कों हर वर्ष बड़ी धूमधाम से , एक वर्षगाठ की तरह मनाया जाता है। इस दिन सभी सरकारी और गैर
सरकारी संस्थानों में छुट्टी होती है। स्कूल,कॉलेज भी बंद होते है , परन्तु ध्वजारोहण हर जगह किया जाता है।
आजकल तो लोग अपने निवास स्थान पर , छोटी -छोटी सोसाइटियों में भी इस कार्यक्रम का आयोजन करते है।
कई रंगा रंग कार्यक्रम पेशकिये जाते है, बड़े- बूढ़ो और बच्चो का उत्साह इस दिन देखते बनता है।
उत्तरांचल की झांकी |
इसके साथ विजयचौक से बहुत बड़ा जुलुस निकलता है ,जिसमे हमारे तीनो दल के सैन्य बल अलग अलग तरह की झाकियाँ , गोलाबारूद , विभिनप्रकार के अश्त्र सस्त्र ,मिसाइल और तोपों का प्रदर्शन करते है। अलग अलग सैन्य दल के बैंड ग्रुप भी इसमें शामिल होते है। अलग- अलग राज्यों के होनहार छात्रों द्वारा रंगा रंग कार्यक्रम पेश किया जाता है। जो लोग यहाँ पहुंच सकते वे यहाँ पहुंचकर इन सब कार्यक्रमों का आनंद लेते है , और जो लोग यहाँ नहीं पहुंच सकते वे अपने टेलीविजन पर इसका आनंद लेते है।
इस प्रकार हर व्यक्ति इस दिन देशभक्ति में लीन होता दिखाई देता है , क्या वास्तव में हमें केवल इन सब दिनों पर ही देशभक्ति में लीन होना चाहिए। तो , नहीं। हमें हर रोज , अपने काम से अपने देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करना चाहिए। हमें अपने देश के प्रति अपना प्यार और अपनी भावनायें दिखाने के लिए केवल गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस का इंतजार नहीं करना चाहिए। हर एक को अपने देश के लिए , अपने समाज के लिए आपने योगदान के बारे में भी सोचना चाहिए। अकसर लोग कहते है कि देश और समाज ने हमारे लिए क्या किया , परन्तु यह नहीं सोचते की हमने देश के और समाज के लिए क्या किया। वे यह क्यों भूल जाते है कि आज देश है तो हम हैं। यदि देश नहीं होगा तो हमारी कोई बिसात नहीं है। तो आइये आज हम अपने साथ -साथ अपने देश की प्रगति में भी योगदान करने का प्रण करे।
"शान तेरी कभी कम न हो, ये वतन मेरे वतन।
सर हमारा रहे ना रहे , तेरा माथा चमकता रहे।
ये वतन , मेरे वतन।
!!जय हिन्द !! वंदे मातरम !! जय हिंन्द !!
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