Thursday, 30 January 2020

MASOOM DIL " मासूम दिल "


Scene1 :-

LOCATION /  TIME  :-   CLASS ROOM  / DAY 
Character : 1) छोटा बच्चा (राज ) ,उम्र -७साल , बहुत ही सीधा-साधा ,मासूम  २) टीचर , उम्र  -२५-३0 साल ,कैथेलिक ,मोडर्न ३) CLASS  के बाकि छोटे बच्चे। ( CLASS २के बच्चे है। )




Scene Description :  Class रूम में सारे बच्चे बेंच पर बैठे हुए है।  टीचर पढ़ा रही है , कुछ  बच्चे  टीचर की तरफ देख रहे है,और कुछ बच्चे आपस में बात कर रहे है। परन्तु एक बच्चा (राज )बड़े ध्यान से टीचर को पढ़ाते हुए देख रहा है। तभी अचानक स्कूल छूटने घंटी बजती है और सभी बच्चे अपना -अपना बैग पैक करने में लग जाते है।  टीचर भी अपना पढ़ाना बंद करके अपना सामान समेटने में लग जाती है , सभी बच्चे अपना अपना बैग लेकर चिल्लाते हुए टीचर को बाय कहते हुए class रूम से बाहर की तरफ भागते है ,परन्तु राज अभी भी टीचर को बड़े ध्यान से देख रहा है , तभी टीचर राज से कहती है ,राज घर नहीं जाना है , राज बड़ी शांति से अपना बैग लेकर टीचर की तरह जाता  है। 

राज - टीचर आप बहुत अच्छी है। 
टीचर = (हँसने लगती ) ठीक है अब घर जाओ। 
(राज बाय  टीचर बोल कर वहाँ  से चला जाता है। टीचर अपने  जाने की तैयारी में लग जाती है ,और राज को जाते हुए देख कर बोलती है , बड़ा अच्छा लड़का है। )

SCENE २ :-

Location / Time  :   राज का घर (Dinning  Table ) / Night .
CHARACTER : राज , राज के माँ -बाप  - उम्र 25 -३०-साल। 
Scene Description  :- तीनो लोग dinning table पर बैठे है , खाना टेबल पर रखा हुआ है। आपस में बात कर रहे है। father - राज आज स्कूल का दिन कैसा रहा। 
राज  - गुड .
father - तुम्हारी टीचर कैसी है। 
राज - मेरी टीचर बहुत अच्छी है। बहुत अच्छा पढ़ाती है। 
father -अच्छा।अब तो हमें राज की टेंशन लेने की कोई जरुरत नहीं।  
( माँ -बाप और राज बात करते हुए आपस में हॅसते है )

Scene 3 :-

Character :राज 
Location /Time  : Road  /सुबह  का समय /
Scene Description  : -राज स्कूल के लिए अपना बैग लेकर जा रहा है।  तभी अचानक उसकी नजर वह रोड के किनारे फूल बेच रहे एक आदमी पर पड़ती है , वह उससे एक लाल गुलाब का फूल खरीदकर अपने बैग में रख लेता है , और स्कूल की तरफ बढ़ जाता है। 

Scene 4 :-

Character : छोटा बच्चा (राज ) २) टीचर  ३) CLASS  के बाकि छोटे बच्चे। 
Location / Time  : Class Room  /Day 
Scene Description  :- Class रूम में सारे बच्चे बेंच पर बैठे हुए है।  टीचर पढ़ा रही है , कुछ  बच्चे  टीचर की तरफ देख रहे है,और कुछ बच्चे आपस में बात कर रहे है। परन्तु राज बड़े ध्यान से टीचर को पढ़ाते हुए देख रहा है। तभी अचानक स्कूल छूटने घंटी बजती है और सभी बच्चे अपना -अपना बैग पैक करने में लग जाते है।  टीचर भी अपना पढ़ाना बंद करके अपना सामान समेटने में लग जाती है , सभी बच्चे अपना अपना बैग लेकर चिल्लाते हुए टीचर को बाय कहते हुए class रूम से बाहर की तरफ भागते है ,परन्तु राज अभी भी टीचर को बड़े ध्यान से देख रहा है , तभी टीचर राज से कहती है ,राज घर नहीं जाना है , राज बड़ी शांति से अपना बैग लेकर टीचर की तरह जाता  है।
Teacher - क्या हुआ। 
राज   - कुछ नहीं। 
Teacher  -Then go . 
राज  - (अपना बैग खोलता है और टीचर की तरफ गुलाब निकाल कर ) teacher आप के लिए। 
Teacher  - ओह! सो Sweet . कहा से लाये। 
(राज फूल दे कर वहा से भाग जाता है। )
टीचर  -अरे ! अरे सुनो , बड़ा मासूम बच्चा है। 











Scene  5  

LOCATION /TIME : राज का घर / NIGHT 
Character  :  राज , राज के पिताजी।
SCENE DESCRIPTION :-राज घर में खेल रहा है ,तभी उसके पिताजी अपने काम से घर वापस आकर अपना यूनिफार्म चेंज करते है , तभी राज उनकी तरफ देखता है। वह देखता है की उसके पिताजी जो की पोलिश इंस्पेक्टर है ,अपनी रिवाल्वर घर के एक डॉवर में रखते है। और फिर चेंज कर दूसरे घर में चले जाते है।
राज खेल रहा है , थोड़ी समय बाद सब खाने पर बैठ जाते है। तभी
FATHER : राज कल तो तुम्हारी छुट्टी है न।
राज :  हां।
FATHER : (राज की माँ की तरफ देखते हुए ) कल हम घूमने जायेंगे।
MOTHER : अच्छा।
       (राज बहुत खुश होकरहो जाता है। )
राज : कल हम बहुत मजा करेंगे।

SCENE  :6 

LOCATION /TIME : MARKET /SHOPPING MALL /DAY 
CHARACTER : राज ,राज के पिताजी ,मां ,TEACHER ,टीचर का बॉय फ्रेंड। 
SCENE DESCRIPTION :-
तीनो लोग मार्किट में घूम रहे है , यहाँ वहा शॉपिंग कर रहे है , राज बहुत खुश है। तभी अचानक राज की नजर उसकी टीचर पर पड़ती है , उसकी टीचर एक आदमी के साथ शॉपिंग कर रही है। राज अपनी टीचर के बारे में अपने माँ-बाप को बताता है , माँ-बाप टीचर से मिलाने उसके पास जाते है और उसे अपने बारे में बताते है। )
FATHER : हेलो !टीचर मैं राज का डैड और ये उसकी मम्मी है , राज स्कूल में पढ़ाई करता है की नहीं।
TEACHER : राज बड़ा ही अच्छा लड़का है। बड़े शांति से क्लास में बैठता है।
(राज के पिताजी टीचर के साथ आदमी की तरफ देखते है ,तभी )
TEACHER : ये मेरे फिऑन्स है। हमारी बहुत ही जल्द शादी होने वाली है।
(उस समय राज बड़े ध्यान से अपनी टीचर और फादर की बातो को सुन रहा है। )
FATHER : अच्छा ,CONGRATULATIONS ! शादी के बाद तो आप ,
टीचर : हां मैं स्कूल छोड़ दूंगी।
FATHER : ओके चलिए। बेस्ट ऑफ़ लक। बाय बाय। फिर कभी मिलेंगे।
(राज के फादर वहाँ से सपरिवार घर आ जाते है।  )

SCENE7 :
LOCATION /TIME : राज का घर /NIGHT 

SCENE DESCRIPTION :-(तीनो लोग सोने की तैयारी कर रहे है , लेकिन राज अभी भी टीचर की बातो के बारे में सोच रहा है , तभी। )
FATHER : राज क्या सोच रहे हो ,चलो आओ यहाँ सोने के लिए , कल स्कूल के लिए उठाना है ना।
(राज अपने फादर की तरफ जाता है और अपने फादर से पूछता है )
राज : डैड ये फिऑन्स क्या होता है।
फादर ; जिससे तुम्हारे टीचर की शादी होने वाली है। अब शादी के बाद तुम्हारी टीचर अपने हस्बैंड के घर चली जाएगी। और स्कूल छोड़ देंगी।
(राज शांत हो जाता है ,और चुप चाप बिस्तर पर लेट जाता है।)

SCENE 8 :

LOCATION /TIME : रास्ता /सुबह का समय 
SCENE DESCRIPTION : राज स्कूल केलिए जा रहा है ,लेकिन बहुत उदास है। 


SCENE 9 :

LOCATION /TIME : SCHOOL /DAY 

SCENE DESCRIPTION :( टीचर पढ़ा रही , सभी बच्चे टीचर की तरफ देख रहे है।  लेकिन राज बहुत ही उदास बैठा है। तभी स्कूल की घंटी बजती है।  सभी बच्चे अपना बैग लेकर , बाय बाय टीचर कह कर भाग रहे है। राज अंत में उठकर टीचर के पास आता है। )
RAJ : टीचर आप शादी मत करिये।
TEACHER : (मजाक में )क्यों ?
राज : शादी के बाद आप स्कूल छोड़ देंगी ना।
टीचर :- तोक्या हुआ।
राज : टीचर ! टीचर ! आप मुझसे शादी कर लीजिये और मेरे घर आ जाइए। तो फिर आप को स्कूल छोड़ने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
(टीचर हँसने  लगती है )
TEACHER : ऐसा नहीं हो सकता।
राज : क्यों।
TEACHER : क्यों की तुम अभी बहुत छोटे हो।
राज : तो ऐसा करो आप मेरे घर चलो और मैं जब बड़ा हों जाऊंगा तो आप से शादी कर लूंगा।
TEACHER :( टीचर मन ही मन हसते हुए )ठीक है , अभी तुम घर जाओ।
(राज वहा से स्कूल के बहार आता है ,तभी उसकी नजर टीचर के बॉय फ्रेंड पर पड़ती है , वह उसके पास जाता है और कहता है )
राज : UNCLE .
BOYFRIEND :YES , अरे तुम। कैसे हो।
RAJ  : UNCLE आप मेरे टीचर से शादी मत कीजिये। वो मेरी TEACHER है।
(ऐसा बोल कर राज वहा से चला जाता है।fiancee उसकी तरफ देखते रहता है तभी टीचर वहाँ आ जाती है। और उससे कहतींहै  ,
TEACHER : वहाँ  क्या देख रहे हो।  अरे  वो तुम्हारा स्टूडेंट है ना ,जो उस दिन मॉल में मिला था ,वह मुझसे कह रहा था की मेरी टीचर से शादी मतकरो।
TEACHER : अरे छोड़ो उस बच्चे को , चलो निकालो यहाँ से।
(दोनों वहां से गाड़ी में निकलजाते है। )

SCENE 10 

LOCATION /TIME   : राज का घर / NIGHT . 
SCENE DESCRIPTION :-राज अपने घर पर बैठ कर TV देख रहा है , तभी उस सीरियल में एक SCENE आता है ,  जिसमे एक राजा एक दूसरे राजा से कहता है की यदि तुंम्हे राजकुमारी का हाथ चाहिए तो मुझसे युद्ध करना होगा। यह देख कर , राज कुछ सोचने लगता है ,और TV बंद  करके सोचते हुए सो जाता है। अगले दिन सुबह फिर वह स्कूल जाता  है। 

SCENE 11 

LOCATION /TIME  : SCHOOL /DAY 
SCENE DESCRIPTION : - राज बेंच पर उदास बैठा हुआ है , स्कूल छूटने का बाद वह चुप चाप CLASS ROOM से बहार निकल जाता है ,TEACHER  उसको देखती रहती है ,और सोचती है क्या हुआ इसे आज। 

SCENE 12 

TO  BE  CONTINUED ....  







Saturday, 25 January 2020

26 JANUARY2022/ REPUBLIC DAY2022 INDIA.

                       

      26 JANUARY 2022/ REPUBLIC DAY, INDIA 

      २६जनवरी २०२2/ प्रजासत्ताक दिन/ गणतंत्र दिवस                               
       
         भारत, हिंदुस्तान, इंडिया या फिर आर्यवर्त देश एक पर नाम अनेक। यही खासियत है हमारे देश की , हमारे हिंदुस्तान की। यहाँ देश का ही नाम अलग -अलग नहीं, बल्कि लोग भी अलग अलग जात, धर्म और समुदाय के रहते है, अलग अलग बोली बोलते है, अलग अलग पोशाख पहने है, खान पान भी अलग है, परम्पराएँ  भी अलग है। फिर भी सभी एक है , सभी हिंदुस्तानी है। सभी साथ मिल कर रहते है,साथ मिल कर त्यौहार मनाते है ,चाहे वह ईद हो या दिवाली, क्रिशमस हो या वैशाखी।सब साथ मिलकर मनाते हैं। 

ईद मुबारक 

         इन सब के बावजूद, हमारे देश का इतिहार बड़ा ही दर्दनाक रहा है। कई माताओं  ने अपने लालों के बलिदान दिए, तब जाकर हमें आजादी मिली। हमें आज़ादी तो १५ अगस्त १९४७ को मिल गयी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आधी रात को तिरंगा फहराते हुए कहा भी कि "इस वक्त जब पूरा विश्व सो रहा है, तब भारत जाग रहा है।" परन्तु वह पूरी आज़ादी नहीं थी, वह आज़ादी नाम मात्र की थी। जिसमे हमें अपनी सरकार चुनने का कोई अधिकार नहीं था, और न ही कोई लोकतांत्रिक आज़ादी थी। अभी भी हम ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाये गए कानूनों का पालन कर रहे थे ,क्यों की उस समय तक हमारे पास अपना कोई संविधान नहीं था और हम स्वतंत्रता के बाद भी किंग जॉर्ज VI  और अर्ल माऊंट बेटन के शासन के अधीन थे। उस समय भारत में अधिनियम १९३५ के तहत शासन चल रहा था, जिसके तहत भारत को पूर्ण राष्ट्र का दर्जा प्राप्त नहीं था क्यों कि उसके सभी राज्य अलग अलग थे। और भारत को पूर्ण राष्ट का दर्जा प्राप्त करने के लिए करीबन आधे से ज्यादा राज्यों का भारतवर्ष में शामिल होना जरुरी था।



डॉ. बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर 

      इस प्रकार भारत के सभी नेताओ को अपने संविधान की आवश्यकता महसूस होने लगी। आख़िरकार २९ ऑगस्ट 1947 में डॉ. भीमराव आम्बेडकर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया, जिसको  स्वतंत्र भारत के संविधान के गठन का बीड़ा सौपा गया। आख़िरकार इस समिति ने विभिन्न राष्ट्रों के संविधानो का अध्ययन कर और अपनी योग्यतानुसार भारत के संविधान का एक प्रथम प्रारूप नवंबर ४, 1947 को भारत  की सविधान सभा के सामने प्रस्तुत किया। प्रस्तुत संविधान में जरुरी संशोधन कर उसे करीबन २ साल ११ महीने बाद २६ जनवरी १९५० को औपचारिक रूप से अपना लिया गया। और आज तक उसे ही भारत का सर्वोच्च कानून के रूप में माना जाता है। उसके बाद भारत एक लोकतंत्र के रूप में पुरे विश्व में एक अपना विभिन्न स्थान रखता है। आज हमारे लोकतंत्र की चर्चा पुरे विश्व में होती है। इस संविधान के तहत सारे सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों को उनकी संरचना , उनकी शक्तियों और कर्तव्यों की पूरी जानकारी दी गई। साथ ही भारत के हर नागरिक के मौलिक अधिकारों और 
कर्तब्यों का पूरा  विवरण पेश किया गया। आज उसी संविधान के तहत हमारी न्याय पालिका काम करती है। 

  कभी कभी हमारे मन में यह भी विचार आता है कि आखिर २६ जनवरी को ही भारतीय संविधान को क्यों पेश किया गया। उसके पीछे भी एक किस्सा है।१९३० के दौरान अंग्रेजो से भारत के पूर्ण स्वराज्य की मांग की गयी थी और २६जनवारी १९३० को "पूर्ण स्वराज्य दिवस "अर्थात " पूर्ण स्वतंत्रता दिवस " के रूप में घोषित  किया गया। इस दिन को सम्मान देने हेतु आख़िरकार २६जनवरी १९५० को भारतीय संविधान की घोषणा की गयी , जिसे प्रजासत्ताक दिन के रूप में भी घोषित किया गया। इसे  गणतंत्र  दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

     इस दिन कों हर वर्ष बड़ी धूमधाम से , एक वर्षगाठ की तरह मनाया जाता है। इस दिन सभी सरकारी और गैर
सरकारी संस्थानों में छुट्टी होती है। स्कूल,कॉलेज भी बंद होते है , परन्तु  ध्वजारोहण  हर जगह किया जाता है।
आजकल तो लोग अपने निवास स्थान पर , छोटी -छोटी सोसाइटियों में भी इस कार्यक्रम का आयोजन करते है।
कई रंगा रंग  कार्यक्रम पेशकिये जाते है, बड़े- बूढ़ो और बच्चो का उत्साह इस दिन देखते बनता है।








राजपथ  पर सैन्य दलों  की परेड 

इस दिन देश की राजधानी दिल्ली को देखते बनता है। इस दिन राजपथ  पर विभिन सैन्य दलों की परेड होती
है , जिसे देखने के लिए  लाखो की भीड़ उमड़ती है। वहां पर कई राज्यों की  झाकियाँ पेश  की जाती है, जो उस    राज्यकी वेशभूषा और परम्पराओं  को दर्शाती है। सैन्यबलों के साथ -साथ कई राज्यों से आये एन.सी.सी (NCC)
कैडेट्स भी अपनी परेड पेश करते है। इसकी तैयारी ये कैडेट्स पूरी साल कड़ी मेहनत से करते है।



उत्तरांचल की झांकी 


           लालकिले पर राष्ट्रपति झंडा फहराते है और परेड की सलामी लेते है। इस दिन हमारे देश का सर्वोच्च पुरस्कार परम वीर चक्र , वीर चक्र और महावीर चक्र हमारे वीर सैनिको को दिए जाते है।  इस दिन प्रधानमंत्री  राष्ट्रीय बाल पुरस्कार भी दिया जाता है। इसके साथ सभी पदम पुरस्कारों (पदम विभूषण ,पदम भूषण और पदम श्री ) की घोषणा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की जाती है।
इसके साथ विजयचौक से बहुत बड़ा जुलुस निकलता है ,जिसमे हमारे तीनो दल के सैन्य बल अलग अलग तरह की झाकियाँ , गोलाबारूद , विभिनप्रकार के अश्त्र सस्त्र ,मिसाइल और तोपों का प्रदर्शन करते है। अलग अलग सैन्य दल के बैंड ग्रुप भी इसमें  शामिल होते है। अलग- अलग राज्यों के होनहार छात्रों द्वारा रंगा रंग कार्यक्रम पेश किया जाता है। जो लोग यहाँ पहुंच सकते वे यहाँ पहुंचकर  इन  सब कार्यक्रमों का आनंद लेते है , और जो लोग यहाँ नहीं पहुंच सकते वे अपने टेलीविजन पर इसका आनंद लेते है। 


       इस प्रकार हर व्यक्ति इस  दिन देशभक्ति में  लीन होता दिखाई देता है , क्या वास्तव में हमें केवल इन सब दिनों पर ही देशभक्ति में लीन होना चाहिए। तो , नहीं। हमें हर रोज , अपने काम से अपने देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करना चाहिए। हमें अपने  देश के प्रति अपना प्यार और अपनी भावनायें दिखाने के लिए केवल गणतंत्र दिवस  और स्वतंत्रता दिवस  का इंतजार नहीं करना चाहिए।  हर एक को अपने देश के लिए , अपने समाज के लिए आपने योगदान के बारे में भी सोचना चाहिए। अकसर लोग कहते है कि देश और समाज ने हमारे लिए क्या किया , परन्तु यह नहीं सोचते की हमने देश के और समाज के लिए क्या किया। वे यह क्यों भूल जाते है कि आज देश है तो हम हैं। यदि देश नहीं होगा तो हमारी कोई बिसात नहीं है। तो आइये आज हम अपने साथ -साथ अपने देश की प्रगति में भी योगदान करने का प्रण करे।   

"शान तेरी कभी कम न हो, ये वतन मेरे वतन। 
सर हमारा रहे ना रहे , तेरा माथा चमकता रहे। 
ये वतन , मेरे वतन। 

!!जय हिन्द !! वंदे मातरम !! जय हिंन्द !!

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   " INDIAN NAVAL BAND"    

      !!! JAI HIND !!!






































Tuesday, 21 January 2020

Life line of Mumbai and India ( Indian Railways ).


  " भारतीय रेल#INDIAN RAILWAY "

         भारतीय रेल भारत सरकार के रेल मंत्रालय के अधीन आती है रेल मंत्री इसके प्रमुख होते है। भारतीय रेल का
लोहा पूरी दुनिया मानती है। यह विश्व की सबसे बड़ी रेल सेवाओं में से एक है। रोजाना करीब २.6 करोडो लोग इससे सफर करते है। यह दुनिया की सबसे बड़ी रेल रुट सेवा है। यह लगभग115000 किमी का लम्बा रुट है। भारतीय रेल की शुरुआत 1853 में मुंबई से ठाणे के बीच हुई ,आज भारतीय रेल का जाल पुरे भारत के कोने कोने में फैला हुआ है।

भारतीय रेल लम्बी दुरी व् लोकल सेवा इस दो प्रकार से चलती है। भारतीय रेल की योजना सबसे पहले अंग्रेजो ने 1832 में बनाई , परन्तु दसको तक वह योजना ऐसे ही पड़ी रही ।

LOCOMOTIVE  ENGINE

अंत में 1853 में पहली बार तीन लोकोमोटिव इंजन की ट्रैन चली। इसमें साहिब , सिंध और सुल्तान इस नाम के तीन इंजन के डिब्बे थे, इस रेल ने मुंबई से ठाणे तक की 34km दुरी तय की। 1895 में भारत ने अपना रेल इंजिन बनाना सुरु किया। 1901 में रेलवे बोर्ड बनाया गया। परन्तु फैसला लेने का सारा हक़ लार्ड कर्ज़न के पास था। रेलवे बोर्ड में तीन लोग थे,१)चेयरमैन -गवर्नमेंट अफसर२) इंग्लैंड से एक रेल मैनेजर ३) एक रेल कंपनी का एजेंट।
रेल ट्रैक 
1907 में सरकार ने सारी रेल कंपनियों को अपने बस में कर लिया। विश्व युद्ध में भारतीय रेल अंग्रेजो के लिये बड़े काम की चीज साबित हुई। १९४७ में रेलवे का ज्यादातर हिस्सा पाकिस्तान के पास चला गया। कुल ४२ रेल लाइन के साथ भारतीय रेल की शुरुआत हुई। १९५२ में भारतीय रेल को ६ झोन में बाटा गया।१९८५ में लोकोमोटिव की जगह इलेक्ट्रिक और डीज़ल इंजिन ने ली। १९९५ में पुरे भारतीय रेल को Computerise किया गया। २१वी सताब्दी में भारतीय रेल दुनिया की सबसे बिजी व लम्बी रेल सेवावो में से एक है।
भारतीय रेल से हर साल करीबन ६ बिलियन लोग सफर करते है।115000 km लम्बा रेलवे ट्रैक है , जिसपर करीबन ७५०० स्टेशन है।भारतीय रेल दुनिया की २ नंबर की नौकरी देनेवाली सबसे बड़ी संस्था (employer ) की श्रेड़ी में आती है। भारतीय रेल के पास करीबन 240000 वैगन्स,60000 कोच ,9000 लोकोमोटिव है।



अब भारतीय रेल को 16 झोन में बाटा
गया है। जो इस प्रकार है -

1.राष्ट्रीय रेलवे एनआरएचआई
14 अप्रैल, 1952
   2. नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे एनईआर
गोरखपुर 1952
   3. नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवेएनएफआर
मालीगांव (गुवाहाटी) 1958
   4.एस्टर्न रेलवे कांकेटा
अप्रैल,1952
   5.साउथ ईस्टर्न रेलवेसेवर कोलकाता
1955,    6.साउथ सेंट्रल रेलवेसीआरसी
सिकंदराबाद 2 अक्टूबर, 1966
   7.सुरान रेलवे एसआरआर
चेन्नई14 अप्रैल, 1951
   8.सेंट्रल रेलवेसीआर
मुंबई 5 नवंबर, 1951
   9.वेस्टर्न रेलवे डब्ल्यूआर
मुंबई5 नवंबर,1951
   10.साउथ वेस्टर्न रेलवेएसडब्ल्यू
आर,हुबली1 अप्रैल2003
   11.नौर्थ पश्चिमी रेलवेएनडब्ल्यूआर
जयपुर १ अक्टूबर, 2002
   12.वेस्ट सेंट्रल रेलवे डब्ल्यूसीआर
जबलपुर1 अप्रैल 2003
  13.नार्थ सेंट्रल रेलवेएनआरसीए
इलाहाबाद1 अप्रैल, 2003
  14.साउथ पूर्व मध्य रेलवे एसईसीआर
बिलासपुर,सीजी 1 अप्रैल, 2003
  15.एस्ट कोस्ट रेलवेईसीओआर
भुवनेश्वर1 अप्रैल 2003
  16.इस्ट सेंट्रल रेलवेईसीआर
हाजीपुर1 अक्टूबर, 2002
  17. कोंकण रेलवे # केआर
नवी मुंबई 26 जनवरी,1998

      # कोकण रेलवे अलग से काम करती है। इसका हेडक्वाटर सी. बी.डी. बेलापुर (नवी मुंबई) में है

      पैसंजर ट्रैन में १८ कोच होते है , किसी-किसी में २४ कोच भी होते है।२००४ में ऑनलाइन टिकट की सुविधा की सुरुवात हुई। आजकल तो ज्यादातर काम ऑनलाइन ही होता है।रेलमंत्री रेल बजट पेश करते है, यह ज्यादातर फेब्रुवारी में आम बजट के पहले इसे पेश किया जाता था। परन्तु२१सप्टेम्बर 1916 को मोदी सरकार दोनों बजट को एक साथ संयुक्त कर दिया।

रेलवे  स्टेशन 


          मुंबई रेल / मुंबई लोकल  

इस सब में मुंबई रेल का एक अपना विशेष स्थान है। मुंबई रेल रुट करीबन 390 km में फैला है। इसमें करीबन 2342 ट्रेनें चलती है। यहाँ लगभग ७मिलियन लोग हर रोज सफर करते है। भारत की पहली रेल भी मुंबई से ठाणे के बीच 16 April 1853 में १५:३५ बजे रवाना हुई। तीन इंजन व १४ कोच की इस रेल ने 34km की दुरी1.25 Hrs में तय की। यह रेल केवल एक बार सायन स्टेशन पर इंजिन में पानी के लिए रुकी। दूसरी बड़ी रेल सेवा1867 में विरार व चर्चगेट के बीच सुरु की गयी।
मुंबई रेल का संचालन भारतीय रेल द्वारा होता है। ऐसे दो झोन में बाटा गया है,१ -सेंट्रल रेल २-वेस्टर्न रेल।वेस्टर्न लाइन द्वारा वेस्टर्न रुट का संचालन होता है,जब कि सेंट्रल लाइन द्वारा सेंट्रल लाइन हारबर लाइन ,ट्रांस हारबर लाइन व वसई -पनवेल वाया दिवा लाइन का भी संचालन होता है।

मुंबई रेल में अलग अलग वर्ग कीसेवा दी जाती है।1st वर्ग की तरह, द्वितीय श्रेणी (सामान्य वर्ग),कक्षा 1-महिला, कक्षा -2 महिला, दिव्यांगजन (हैंडी कैप), सेनियर सिटीजन और सामान श्रेणी।
मुंबई रेल के प्रत्येक कोच में लगभग ५००० लोग भरे होते है जबकि उसकी क्षमता केवल २००० की होती है। मुंबई रेल हमेशा अपने बहुत भीड़ -भाड़ के लिए मशहूर है। यहाँ रोज हादसे होते रहते है, इसलिए मुंबई को हादसों का शहर कहा जाता है। लोकल ट्रेन मुंबई में 4 AM से1 AM चलती है,कुछ ट्रेने 2:30 AM तक भी चलती है।

BOLLYWOOD में भारतीयरेल का योगदान
बॉम्बे शहर हादसों का शहर है। यहाँ रोज रोज हर मोड़ मोड़ पर होता है ,
कोई न कोई हादसा, हादसा ....(किसी फिल्म का गीत )

फिर भी मुंबई रेल मुंबई की लाइफ लाइन है।

       बॉलीवुड भी रेल्वे से अछूता नहीं है। बहुत सी फिल्मो में  रेल का इस्तेमाल किया गया है। कुछ तो फिल्मे पूरी की पूरी ट्रैन में ही शूट हुई है , (स्टूडियो ट्रेन में ) जैसे ... THE बर्निंग TRAIN 


फिल्म पोस्टर 
       
   चेनई एक्सप्रेस को हम कैसे भूल सकते है। बहुत से फाइटिंग दृश्य का फिल्मांकन भी ट्रेन कोचेस या यार्ड में किया जाता है। कभी-कभी दो लोगो के मिलने -बिछड़ने के दृश्य के लिए भी चलती ट्रैन का बखूबी इस्तेमाल किया जाता है। यह बात अलग है कभी- कभी वीएफएक्स और क्रोमा तकनीक का इस्तेमाल भी रुकी हुई ट्रेन के डब्बे को,जो की स्टूडियो में होता है,चलते हुआ दिखाने में किया जाता है। इसके बावजूद नाम तो भारतीय रेल का ही लिया जाता है। 
   निष्कर्ष -
     अतः  एक ही निष्कर्ष निकलता है कि -
      कुछ भी हो जाये परन्तु भारतीय रेल हमारे 
      जीवन शैली का एक हिस्सा है और रहेगी।  
         !!जय हिंद !!




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Monday, 20 January 2020

MAA KARVAL DEI , HATA BAJAR , GORKHPUR,U.P.





माँ  करवाल देई   का  मंदिर हाटा बाजार  के पास  हाईवे  के किनारे  स्थित है. इसकी बड़ी मान्यता है। 
यहाँ पर भक्त बड़ी आस्था केसाथ  आते है।  अपनी  मान्यता  पूरी होने के बाद  यहाँ प्रसाद करते है पुरे परिवार के साथ. यह उप्र के गोरखपुर जिले में आता है।  यह बरहल गंज के आस स्थित है।  यहाँ पर  माँ करवाल देइ , हनुमान जी , शंकर भगवान  इत्यादी   देवो देवताओ की मुर्तिया है।  यहाँ पर कई पीपल के विशाल वृक्ष है।  मंदिर के आस पास का  स्थल बड़ा ही  मनोहारी है।  आस पास  पूजा के सामने के लिए  बहुत सी दुकाने है। 
मुझे लगता है हरव्यक्ति को एक बार माता के दर्शन के लिए आना चाहिए।




Gorakhpur has its own cultural and historical importance. It is the birth place of Firaq Gorakhpuri, workplace of writer Sh. Munshi Premchand and mystic poet Kabirdas. Associated with Gautam Buddha and Lord Mahavir, Martyr Pt. Ram Prasad Bismil, Bandhu Singh and many more.
Gorakhpur was a part of the famous kingdom of Koshal, one of sixteen mahajanpadas in 6th Century B.C. The earliest known monarch ruling over this region with his capital at Ayodhya was IKSVAKU, who founded the solar dynasty of Kshatriya. The ancient Gorakhpur, in addition to modern, comprised the districts of Basti, Deoria, Azamgarh and parts of Nepal tarai. The region, called Gorakhpur Janpad, had been an important centre of Aryan culture and civilization. The first collector of Gorakhpur district was Mr. Routledge. In 1829, Gorakhpur was made the headquarters of a Division of the same name, comprising the districts of Gorakhpur, Ghazipur and Azamgarh. Mr. R.M. Biad was first appointed Commissioner. In 1865, new district Basti was carved out from Gorakhpur. The latter was further split up in 1946 to form new district Deoria. The third division of Gorakhpur led to the creation of district Mahrajganj in 1989.

Safari in Kenya # Safari in Africa # अफ्रीका(केन्या ) के जंगलों का भ्रमण # जंगल safari

SAFARI IN KENYA


अक्सर हम बच्चो को फोटो में शेर , बाघ , हाथी इत्यादि जानवरो के फोटो दिखाकर उनके बारे में उन्हें बताते है।
हमे अक्सर ें इन जानवरो को प्रत्यक्ष रूप से देखने का मौका नहीं मिलता। यदि कभी बुले भटके देखने को मिला भी तो बड़े दूर से ही दर्शन होते है। इस वीडियो के माधयम से यहाँ मेरा प्रयास है की आप सब लोग ेइन जानवरो को बड़े करीब से देख सके।
यह वीडियो अफ्रीका के केन्या इलाके के एक जंगल का है. जहा मेरे कुछ दोस्त गए थे। यह बड़ा ही अविश्मरणीय दृश्यों का एक संग्रह है। यह वीडियो आप लोगो को अपने बच्चो को जरूर दिखाना चाहिए और खुद भी देखना चाहिए।





इस वीडियो को देखकर एक बात हमारे जहन में आती है की क्या ेइन जानवरो की तरह इंसान भी मिलजुल कर साथ क्यों नहीं रहते।
क्यों आपस में हम जाती के नाम पर , धर्म के नाम पर, झूठी शान के नाम पर , आपने अहम के नाम पर , धन दौलत के नाम पर , किसी न किसी कारन वस् आपस में लड़ झगड़ कर जीवन व्यतीत करता है।

इस वीडियो में सफारी का मजा जरूर ले।





 




When designing a Kenyan Safari, there are some decisions to make:
The first is whether you want private safari or a group safari.
A shared safari in Kenya is a great way to meet new people and reduce costs but we always recommend a private safari because the price difference is not very significant (sometimes none at all) and you'd be able to benefit from full itinerary customization, travel at your own rhythm and pace and have more free space in the car.

That's why we should only organize private tailor made safaris.
A safari is an overland journey, usually a trip by tourists in Africa. In the past, the trip was often a big-game hunt, but today, safaris are often to observe and photograph wildlife—or hiking and sightseeing, as wel.

Sunday, 12 January 2020

NISHABD -A SHORT FILM # AMANDEEP # JAYAJI # MATKARI # SAURABH# JAGDISH#E...

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                          आदर्शराज  एंटरटेनमेंट  PRESENTS
                                                             " NISHABD "

इस फिल्म के माध्यम से हमने यह बताने का प्रयास किया है कि  किस प्रकार आज कल के बच्चों को आपने माँ-बाप से ज्यादा अपने जानवरो से ज्यादा लगाव है। जितना लगाव उन्हें जानवरो से होता है यदि उतना लगाव वे अपने माँ -बाप से करे तो उनका घर परिवार स्वर्ग बन जाये। जिससे पुरे परिवार में , पुरे समाज व देश में एक अच्छा सन्देश जाये। 
इस फिल्म के कलाकरो  ने  इसमें बड़ा हीअच्छा अभिनय किया है। फिल्म की कहानी का  उसके  शीर्षक  के साथ बड़ा ही तालमेल दिखता है। इसमें बुजुर्ग कलाकारों ने बड़ा ही सहज अभिनय किया है। 
आप लोगो को यह फिल्म एक बार जरूर देखना चाहिए। 

  • CAST : A.K.MATKARI , AMANDEEP, JAYA JOSHI , SAURABH VARMA JAGDISH GURAV & EVEE
 CAMERA : SAMPOORNANAD

  • PRODUCER : MAHENDRA CHAVAN & ADARSH KAUR

  • EDITOR/ SCREENPLAY/ DIRECTOR : RAJESH SHARMA

 

Sunday, 15 December 2019

THE ANGER # Short film # Musical ,Romantic and Suspense # JYOTI TIWARI ...


                                            ADARSHRAJ   ENTERTAINMENTS
                                                            PRESENTATION

                                                            THE ANGER

इस फिल्म की कहानी बड़ी ही रोचक  है।  इस फिल्म के कलाकारों ने  इसमें बड़ा ही अच्छा अभिनय किया है।
कहानी कुछ इस प्रकार से है।
फिल्म की नायिका का  आपने पति के साथ मनमुटाव होजाता है।  और वह किस प्रकार  किसी के दूसरे मर्द के सम्पर्क में आकर गलत रास्ता आपना लेती है परन्तु अंत में उसे पछतावा होता है तब तक देर  हो जाती  है।
इस कहानी के अंत के लिए यह मुहावरा बड़ा ही सार्थक लगता है ,
 " अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत "
अतः आप लोग अपने परिवार के साथ मिल जुल कर रहे , किसी भी प्रकार की गलत फहमी का शिकार न हो।
इस फिल्म का गाना बड़ा ही रोमांटिक है जो कहानी के साथ बड़ा फिट बैठता है।
इस फिल्म को एक बार जरूर देखे , और अपना कमेंट जरूर शेयर करे।







  • ADARSHRAJ ENTERTAINMENT

  • PRESENTS Musical , Romantic and Suspense Short Film







  • #The Anger THE ANGER ACTORS : JYOTI TIWARI, SATISH SINGH(BABA) AND MANISH CHAUBEY DOP : SAMPOORNANAND YADAV STORY /DIALOGUE : SHAKIL SHAIKH SINGER : NITESH PRAJAPATI PRODUCER : ADARSHRAJ ENTERTAINMENT EDITOR/ SCREENPLAY / DIRECTOR : RAJESH SHARMA http://www.youtube.com/c/Rajsharma22

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